राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी
संविधान के अनुच्छेद ३४३ (१ ) के अनुसार '' संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी , संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप होगा ''.इसी अनुच्छेद के दूसरे उपबंध में १५ वर्ष के लिये अंग्रेजी भाषा को भी राजकीय कार्यो के लिए मान्य किया गया।
अनुच्छेद ३४४ में राष्ट्रपति द्वरा एक राजभाषा आयोग के गठन का प्रावधान किया गया है , जो हिंदी के उत्तरोत्तर विकास एवं अंग्रेजी के प्रयोग को काम या बिलकुल समाप्त करने के लिये विचार करेगा, साथ ही तीस सदस्यों की की एक समिति के गठन का भी प्रावधान किया गया जो आयोग की सिफारिशों की समीक्षा करके अपना सुझाव को भेजेगी।
अनुच्छेद ३४४ के अनुसार राज्य विधिक प्रक्रिया द्वरा राजकीय प्रयोजनों के लिए उस राज्य में प्रयुक्त प्रादेशिक भाषोओं में से एक या अनेक अथवा हिंदी को अंगीकार कर सकेगा, किन्तु यदि राज्य ऐसा नहीं करता तो वहाँ राजकाज के लिए अंग्रेजी भाषा ही प्रयोग की जाती रहेगी।
अनुच्छेद ३४८ के अनुसार उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों भाष के संदर्भ में है ,इसमें कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों में और अधिनियम,विधेयकों आदि में संसद द्वरा अन्य व्यवस्था न किए जाने तक अंग्रेजी का ही प्रयोग होगा , किन्तु राष्ट्रपति की पुर्व सम्मति से किसी राज्य का राज्यपाल हिंदी अथवा उस राज्य में याजकीय प्रयोजन के लिए प्रयुक्त होने वाली भाषा का प्रयोग उस राज्य के उच्च न्यालालय की कार्यवाही के लिए मान्य कर सकता है
अष्टम अनुसूची की भाषाएँ
हिंदी
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तमिल
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